कुछ दिनों पहले मैं गुजरात में था | हाला के गुजरात एक तरह से मेरी कर्मभूमी हैं पर मैं किसी न किसी तरह हमेशा से उससे एक संतान की तरह जुड़ा हुआ हूँ | आज जब हम बात कर रहे हैं प्रगती और विकास का तो यह कहना गलत नहीं होगा की गुजरात इस पथ पर द्रुत गाती से अग्रसर हैं | सठीक माने में गुजरात ही ऐसा एक प्रदेश हैं जहाँ विकास के सठीक व्याख्या आपको दिखाई देंगे | जहा पर विकास का अर्थ केवल एक शहर या उसके कुछ पूंजीपतियो के उद्धार नहीं परन्तु उससे कहीं अधिक हैं |
कर्मक्षेत्र और दुर्भाशी जगत में कर्मठ होने के आधार पर अभी मैं इस देश के वित्तिक राजधानी मुंबई में निवास कर रहा हूँ | मुंबई महानगरी जहाँ एक अवसरों की स्वप्न्भूमी हैं तो दुसरे तरफ यह एक क्षय होते नगर का जीता जागता सबूत हैं | मुंबई में रहते आप सिर्फ इस शहर को एक समस्या के रूप में निहार सकते हैं और बाकी कुछ नहीं | जगह जगह सडको पर गड्ढे आपको आपके कर के पैसो का व्यर्थ व्यय का संकेत तो देते ही हैं , उसके ऊपर सरकार के निराशावादी कदम आपको और दुष्प्रेरित करते हैं इस शहर में अपना भविष्य तलाशने के लिए | यहाँ एक साधारण वर्ग के मनुष्य से अपना जीवन व्यतीत करने का अधिकार मनो छीन लिया गया है | इसी छीनाझपटी के बीच बहुत सारा विकास हो रहा है जो साधारण वर्ग के विसंगत हैं | अगर यह विकास का प्रतिरूप है तो ऐसे विकास का लाभ क्या होगा यह कल्पना करना कठीन नहीं हैं | एक राज्य के रूप में महाराष्ट्र का विकास लगभग न के बराबर है | अगर इस राज्य से मुंबई को पृथक कर दिया जाए तो यह एक पिछड़े राज्य के सामान होगा इसमें कोई शंका नहीं हैं |
दुसरे ओर जब हम गुजरात की ओर अपनी दृष्टी को केन्द्रित करते हैं तब यह महसूस होता हैं की यहाँ पर विकास एक सम्मिलित प्रक्रिया का प्रतिरूप हैं | गुजरात में विकास का अर्थ केवल अहमदाबाद को विक्सित करना नहीं बलके राज्य के सभी शेहेरो का अनुपातिक रूप से विकास करना हैं | अगर इस विकास के प्रतिमान की समीक्षा की जाए तो यह एक लम्बे समय तक कारगर और समाज के सभी वर्गों को संबोधित करेगा यह प्रतीत होता है | गुजरात को एक तरह का बढ़त इस बात पर भी मिलती हैं की यहाँ हर एक इंसान स्वयं अपना रोज़गार जुटाने में विश्वास करता हैं जिससे के जनगन का एक बड़ा भाग उद्यमी हो उठता हैं | ऐसे भावो को गुजरात सरकार प्रोत्साहित करता हैं अपने सारे वित्तीय योजनायो से जो सदेव लाभ की ओर केन्द्रित होते हैं | यहाँ लाभ इंसान व् सरकार दोनों को पहुँचता हैं और इस कारण समूचे राज्य की उन्नती एक स्वाभाविक प्रतिफल है | विकास के लिए गुजरात को कोई विशेष पग नहीं उठाने पड़ते क्योंकि यह एक सामान्य प्रक्रिया से ही अपना गठन कर लेती हैं |
गुजरात के विकास का प्राथमिक कारण यह हैं की सरकार का केंद्र - बिन्दु यहाँ आधारभूत संरचनाओं अर्थात मौलिक सुख सुविधाओ को विक्सित करने की ओर हैं, जैसे के सड़के बनाना, बिजली-पानी का सठीक वितरण करना , ओद्योगिक विचारधारा को प्रोत्साहन देना इत्यादी | जब ऐसे सिद्धांतो के साठ कोई विकास के पथ पर अग्रसर होता हैं तो विकास स्वयं अपनी राह पकड़ लेती हैं और यह विकास एक लम्बे समय तक स्थिर रहता हैं |
विकास को बढ़ावा देने के लिए यह भी ज़रूरी है की आप आधुनिक अभियांत्रिकी का सहारा ले | रुधिचुस्त भावनाओं को किनारा कर आप एक अपरंपरागत चिन्ताधारा को अपनाए जो के आप को एक लम्बे समय तक अपना लाभ पहुचाये | विकास के क्रिया में आप यह भी स्मरण रखे के यह विकास केवल कुछ लोगो के लिए नहीं है परन्तु एक समूचे जनता को संबोधित करता है अतएव इस विकास के क्रिया में कुछ ऐसा न हो जिससे जनता को आज के आधार में कोई संकट प्रकट हो | विकास एक क्रमिक प्रक्रिया हैं न की कोई चमत्कार, इसलिए इस क्रमिक प्रक्रिया को इस तरह से रूप दे के आपका आज और आपका कल दोनों ही विक्सित हो उठे |
मुंबई को शंघाई बनने के पहले महाराष्ट्र का गुजरात बनना आती आवश्यक हैं ...........
कर्मक्षेत्र और दुर्भाशी जगत में कर्मठ होने के आधार पर अभी मैं इस देश के वित्तिक राजधानी मुंबई में निवास कर रहा हूँ | मुंबई महानगरी जहाँ एक अवसरों की स्वप्न्भूमी हैं तो दुसरे तरफ यह एक क्षय होते नगर का जीता जागता सबूत हैं | मुंबई में रहते आप सिर्फ इस शहर को एक समस्या के रूप में निहार सकते हैं और बाकी कुछ नहीं | जगह जगह सडको पर गड्ढे आपको आपके कर के पैसो का व्यर्थ व्यय का संकेत तो देते ही हैं , उसके ऊपर सरकार के निराशावादी कदम आपको और दुष्प्रेरित करते हैं इस शहर में अपना भविष्य तलाशने के लिए | यहाँ एक साधारण वर्ग के मनुष्य से अपना जीवन व्यतीत करने का अधिकार मनो छीन लिया गया है | इसी छीनाझपटी के बीच बहुत सारा विकास हो रहा है जो साधारण वर्ग के विसंगत हैं | अगर यह विकास का प्रतिरूप है तो ऐसे विकास का लाभ क्या होगा यह कल्पना करना कठीन नहीं हैं | एक राज्य के रूप में महाराष्ट्र का विकास लगभग न के बराबर है | अगर इस राज्य से मुंबई को पृथक कर दिया जाए तो यह एक पिछड़े राज्य के सामान होगा इसमें कोई शंका नहीं हैं |
दुसरे ओर जब हम गुजरात की ओर अपनी दृष्टी को केन्द्रित करते हैं तब यह महसूस होता हैं की यहाँ पर विकास एक सम्मिलित प्रक्रिया का प्रतिरूप हैं | गुजरात में विकास का अर्थ केवल अहमदाबाद को विक्सित करना नहीं बलके राज्य के सभी शेहेरो का अनुपातिक रूप से विकास करना हैं | अगर इस विकास के प्रतिमान की समीक्षा की जाए तो यह एक लम्बे समय तक कारगर और समाज के सभी वर्गों को संबोधित करेगा यह प्रतीत होता है | गुजरात को एक तरह का बढ़त इस बात पर भी मिलती हैं की यहाँ हर एक इंसान स्वयं अपना रोज़गार जुटाने में विश्वास करता हैं जिससे के जनगन का एक बड़ा भाग उद्यमी हो उठता हैं | ऐसे भावो को गुजरात सरकार प्रोत्साहित करता हैं अपने सारे वित्तीय योजनायो से जो सदेव लाभ की ओर केन्द्रित होते हैं | यहाँ लाभ इंसान व् सरकार दोनों को पहुँचता हैं और इस कारण समूचे राज्य की उन्नती एक स्वाभाविक प्रतिफल है | विकास के लिए गुजरात को कोई विशेष पग नहीं उठाने पड़ते क्योंकि यह एक सामान्य प्रक्रिया से ही अपना गठन कर लेती हैं |
गुजरात के विकास का प्राथमिक कारण यह हैं की सरकार का केंद्र - बिन्दु यहाँ आधारभूत संरचनाओं अर्थात मौलिक सुख सुविधाओ को विक्सित करने की ओर हैं, जैसे के सड़के बनाना, बिजली-पानी का सठीक वितरण करना , ओद्योगिक विचारधारा को प्रोत्साहन देना इत्यादी | जब ऐसे सिद्धांतो के साठ कोई विकास के पथ पर अग्रसर होता हैं तो विकास स्वयं अपनी राह पकड़ लेती हैं और यह विकास एक लम्बे समय तक स्थिर रहता हैं |
विकास को बढ़ावा देने के लिए यह भी ज़रूरी है की आप आधुनिक अभियांत्रिकी का सहारा ले | रुधिचुस्त भावनाओं को किनारा कर आप एक अपरंपरागत चिन्ताधारा को अपनाए जो के आप को एक लम्बे समय तक अपना लाभ पहुचाये | विकास के क्रिया में आप यह भी स्मरण रखे के यह विकास केवल कुछ लोगो के लिए नहीं है परन्तु एक समूचे जनता को संबोधित करता है अतएव इस विकास के क्रिया में कुछ ऐसा न हो जिससे जनता को आज के आधार में कोई संकट प्रकट हो | विकास एक क्रमिक प्रक्रिया हैं न की कोई चमत्कार, इसलिए इस क्रमिक प्रक्रिया को इस तरह से रूप दे के आपका आज और आपका कल दोनों ही विक्सित हो उठे |
मुंबई को शंघाई बनने के पहले महाराष्ट्र का गुजरात बनना आती आवश्यक हैं ...........
It is as true as Mirror which will always reflect what u are not what u want...
ReplyDeleteVery true Bhavesh.. Gujarat has always been a profitable balance sheet....and as they say balance sheet never lies.
ReplyDeleteAgree with you Bhavesh..... The speed at which Gujarat is progressing I dont think that any other state from India can compete with it as of now.....
ReplyDelete@Shailu: It is not only about the pace but it is also about the steady fashion of growth. As I told in the article, Gujarat followed just one pattern and that was development of basic infrastructure and this manifested into the growth of the state. There was never focus on one particular city but a rational development of all urban areas in their own capacity...so the reality prices are also not showing abnormal variations as they show in Maharashtra.....
ReplyDeleteQuestion over here is not about competing but actually for states like Maharashtra, MP, Andhra, West bengal, Karnataka and others to follow the development pattern of Gujarat, leaving behind the political shallowness..