Tuesday, August 14, 2012

स्वतंत्रता .....या ......स्वतंत्रता का भ्रम



आज इस महान देश ने अपने स्वतंत्रता के ६५ वर्ष पूरे कर लिए| इन ६५ वर्षो में बहुत कुछ अच्छा व् बहुत कुछ बुरा हुआ है | आज मैं उन इतिहास के पन्नो को नहीं पल्टूंगा | व् इसलिए के इतिहास का दस्तावेज़ीकरण होने का प्राथमिक कारण होता है वर्त्तमान को भूतकाल के भूलो से अवगत करना व् भविष्य को एक निर्दोष आकार देना | दुर्भाग्यवर्ष हम इतिहास के इस प्राथमिक कारण को भूल चुके है और हम बार बार वोही भूल करते है जो इतिहास हमे करने को मन करता है | ये सच है, नहीं तो ऐसा क्यों होता की ये देश बार बार किसी न किसी के हाथो पराधीन होके रह जाती ? ऐसा क्यों होता की इस देश के नागरिक को हर समय एक न एक ध्वज तो मिलता पर उस ध्वज के टेल सुरक्षा व् सन्मान कभी नहीं मिलता |

ये प्रश्नों के  उत्तर कदाचित हमारा समाज व् हमारी अंतरात्मा कई वर्षो से खोज रही हैं | पराधीनता से भी कई अधिक भयंकर होता है स्वाधीनता का भ्रम | आज जो हमारे देश में है वो स्वतंत्रता नहीं पर स्वतंत्रता का भ्रम है | देश की जनता जो कभी लोधी तो कभी मुग़ल तो कभी अंग्रेजो के पराधीन थे वो आज राजनीतिक संस्थाओ व् उनके संकीर्ण विचारों के पराधीन है | समस्त राष्ट्र में आज जिस स्वतंत्रता का हर्षो उल्लास मनाया जा रहा है, वो राष्ट्र की जनता आज एक नए पराधीनता से समक्ष प्रस्तुत हैं  | ये पराधीनता है विचारों की | ये पराधीनता है उसके आत्मसन्मान की | ये कहने में द्विधा नहीं की हमारा देश एन लोकतंत्र है, परन्तु इस लोकतंत्र के वास्तविक तांत्रिक किस तरह ये देश और इस देश के जनता के भावनाओं का बलात्कार कर रहे है ये हमारे दृष्टि के समक्ष प्रस्तुत है | 

क्या आज हम अपने विचारों को स्वतंत्रता से व्यक्त करने के स्थिति में है ? क्या हम किसी अपराध के समक्ष छाती तान के खड़े रहने के लिए तैयार है ? क्या हम इस देश को सही मायनो में एक विकसित देश बनाने के लिए तैयार है? यदी ऐसा है तो हमे इस बात का ज्ञात होना चाहिए की विकास का सीधा सम्बन्ध मानसिकता के साथ है न की केवल आर्थिक उत्थान से | आज हम अपने ही संकीर्णताओ के मध्य में फसे हुए है तो फिर एक समूचे देश को फाँस से कैसे निकाल सकते है ? 

स्वाधीनता का भ्रम जब १३० करोड़ जनता को हो जाए तो वो केवल भ्रम नहीं रहता परन्तु एक भयानक अभिशाप बन जाता है | राजनैतिक स्वतंत्रता तो हमे कदाचित प्राप्त हो चुकी पर मौलिक और मानसिक स्वंतंत्रता अभी भी प्राप्त होना शेष है | इस सन्दर्भ में यह कथन किये जाय तो भूल नहीं होगा की हम गत ५००० वर्षो से स्वाधीन नहीं हुए है | हम कल भी पराधीन थे और हम आज भी पराधीन है | 

2 comments:

  1. It is amazing. I am proud to be Indian. Independence day is big day for every Indian. I am working in Car towing service company. Thanks for sharing.

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  2. Hey there common-man-fooled information or the article which u had posted was simply superb and to say one thing that this was one of the best information which I had seen so far, thanks for the information #BGLAMHAIRSTUDIO

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